सुरा- शराबैल ,
सुरा- शराबैल हाय मेरी मौ , लाल कै दी हो,
छन दबलौं ठन ठन गोपाल कै दी हो,
न पये न पये कोओय सबुले , कैकी नि मानी ,
साँची लगौनी अकला- उम्र दघोडी नि आनी,
अफ्फी मैले अफ्फु हैणी जंजाल कै दी हो,
छन दबलौं ठन ठन गोपाल कै दी हो
Wednesday, December 30, 2009
हीरा सिंह राणा - उनकी कुछ कवितायेँ
आदरणीय सदस्यगण,
मैं आपको राणा जी की कविताओं की कुछ पंक्तियाँ बताना चाहूँगा,और आशा करता हूँ की आप उनकी कविताओं को समझने की कोशिश करेंगे.
एक परिचय,
नाम ; हीरा सिंह राणा
गाओं : डधोई, मानिला,
पढ़ाई ; माध्यमिक स्चूल तक
जन्म ; १६ सितम्बर १९४२.
शौक : गीत लिखना और गीत गाना ,
आज तक प्रकाशित पुस्तकों के नाम
1.प्योली और बुरांश
२. मनिले डानी
3.मन्ख्यो पड्योव मैं ,
Wednesday, July 15, 2009
Tuesday, February 3, 2009
कहा जाता है की एक समय कुछ चोर माता के मन्दिर से उनकी अष्ट धातु की प्रतिमा चुराने गए पूरी प्रतिमा तो वे नही चुरा पाए परन्तु देवी का एक हाथ वे चुरा कर ले गए बहुत दूर चलने के बाद वे थक गए जब वे विश्राम करके उठे तो वे देवी के उस हाथ को नही उठा सके ,तब तक भोर हो चुकी थी किसी को पता चलने के डर से वे उसे वही छोड़ कर भाग गए बाद में स्थानीय लोगो ने वह पर माता मानिला के मन्दिर की स्थापना की , आज यह शक्तिपीठ मल्ला मनीला के नाम से जाना जाता है माता मानिला का प्राचीन शक्तिपीठ तल्ला मनीला नामक गाँव में है जिसे तल्ला मानिला माता शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है यह मल्ला मानिला माता शक्तिपीठ से करीब 10 किलोमीटर दूर स्थित है देवदार, चीड बाँज व बुरांस के जंगलो के बीच यह मन्दिर वास्तव में अनुपम है अनेको बुगयालो के बीच यह शक्तिपीठ देख कर आत्मा को चिर आनंद की अनुभूति होती है तथा माता के दर्शन पा कर भक्तगण मन की शान्ति व आशीष पाने का अनुभव करते है
विजय सिंह बुटोला
विजय सिंह बुटोला
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